अंतर्वैयक्तिक संबंधों की समस्याएँ: कारण, एवं उपचार

अंतर्वैयक्तिक संबंध (Inter personal Relationship) प्रकृति ने मानव को बनाया, और मानव ने संबंधों की रचना की। संबंधों से परिवार व परिवार से समाज की रचना हुई। यदि संबंध न होते, तो हमारा जीवन भी पशु-पक्षियों की तरह चल रहा होता जो सिर्फ सुरक्षा व संतुष्टि पर आधारित होता। संबंधों ने हमारे जीवन व समाज को व्यवस्थित व निर्धारित किया। संबंधों की वजह से ही हम सुख-दुख, प्यार, ममता, दया, सहानुभूति आदि भावनाओं को उनके वास्तविक रूप में अनुभव कर पाते हैं। संबंधों ने ही इन भावनाओं को खूबसूरती, गरिमा और अर्थ प्रदान किए।

संबंध ही मनुष्य को प्रकृति की सारी कृतियों में सर्वश्रेष्ठ बनाते हैं। संबंध हमारे जीवन में जिम्मेदारियाँ लाते हैं, और जिम्मेदारियाँ हमें समझदार व व्यस्त बनाती हैं जिसमें उलझकर हम अपनी जिंदगी आसानी से गुजार लेते हैं। यदि हम संबंधों को उनके वास्तविक अर्थों में समझ कर उनके अनुसार जीएँ तो, हमारे जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी। दुःख व चिंता हमें कभी परेशान नहीं कर पाएँगे और हम सभी प्रकार के मानसिक रोगों व समस्याओं का आसानी से सामना कर पाएँगे। संयुक्त परिवार व्यवस्था (Joint Family System) ने मनोरोग विशेषज्ञों (Psychiatrists) को हमारे देश से दूर रखने में बड़ी मदद की, अर्थात् उनके प्रभाव व जरूरत को महसूस नहीं होने दिया। संयुक्त परिवार व्यवस्था की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें सभी मानसिक समस्याओं का समाधान, हमें बिना पता चले ही, अपने आप हो जाता है।

हमारी सभ्यता, संस्कृति व आध्यात्मिक ज्ञान संसार के अन्य देशों से हजारों वर्ष आगे क्यों है? क्योंकि हम संबंधों को उनके वास्तविक रूप में समझकर, उन्हें उनकी गरिमा के अनुसार सम्मान देते हैं तभी तो आज भी सारा विश्व हमारी सभ्यता, संस्कृति को आदर की दृष्टि से देखता है और उसे अपनाने की कोशिश करता है और हमें आध्यात्मिक गुरु का सम्मान प्रदान करता है।

अंतर्वैयक्तिक संबंधों में टकराहट के कारण (Causes of Interpersonal Conflict)

  • Lack of Communication (संवादहीनता)
  • Over expectation (अनावश्यक उम्मीद लगाना)
  • Complexes (Inf. & Sup.) (हीन भावनाएँ)
  • Comparision – Competition (तुलना व बराबरी करना)
  • Interference, Instruction & Difraction (बार-बार टोकना व दिशा-निर्देश देना)
  • Lack of Acceptence – Disreguard (दूसरों को अस्वीकार व अपमानित करना)
  • Breakage of Joint Family System (संयुक्त परिवार का टूटना)
  • Lack of Mutual Respect – understanding (आपसी सम्मान व समझ में कमी)
  • Male – Female Ego (स्त्री-पुरुष के अहंकार)
  • Feeling of Insecurity (असुरक्षा की भावना)
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उपचार (Treatment)

  • Balance in Right Duty (अधिकार व कर्तव्य में संतुलन)
  • Problem Solving Techniques (समस्या समाधान के तरीके)
  • Define Relation according to your Life Philosophy (संबंधों को जीवन दर्शन के अनुसार परिभाषित करना)
  • Decide the Limitations of Relations (संबंधों की सीमाएँ निर्धारित करना)
  • Give and take (Gift) in limit (उपहार आदि का लेन-देन सीमा में करना)
  • Follow the Policy of ‘Convinced or Convince me’ (‘समझ लो य समझा दो’ की नीति अपनाएँ)।
  • Mutual Faith, Respect – Understanding (आपसी विश्वास, सम्मान व समझ)
  • Courage to Favour Right (सही को सही, गलत को गलत कहना)
  • Adjustment Techniques (समायोजन के तरीके सीखना)
  • Empathatic Attitude (सहानुभूति का दृष्टिकोण) Improve Communication Style (बातचीत के ढंग में सुधार)
  • मुस्कुराकर ‘धन्यवाद’ व गलती महसूस करके ‘क्षमा’ मांगने की आदत डालें।
  • तर्क के साथ तारीफ करने की कला सीखें।
  • हमेशा एक-दूसरे को बताएँ कि उन्होंने एक-दूसरे से ऐसी कौन-कौन-सी बातें सीखी हैं जिन्होंने उनके जीवन को बदल दिया।
  • एक-दूसरे की तारीफ सबके सामने करें व कमियाँ अकेले में बताएँ।
  • पूरे दिन में घर के सभी लोग मिलकर कम से कम एक बार चाय, नाश्ता, लंच या डिनर करने की आदत डालें।
  • किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा किए गए वायदे या बात को पूरा ना कर पाने पर तुरंत उसके बारे में कोई नकारात्मक धारणा न बनायें, बल्कि उसके कारण को जानने का प्रयास करें।

अंतर्वैयक्तिक संबंधों की गहराई, गरिमा और सामूहिकता ही हमारे सामाजिक ढांचे की नींव हैं। जब इन संबंधों में टकराव या तनाव उत्पन्न होता है, तो उसका प्रभाव केवल व्यक्ति विशेष पर नहीं, बल्कि पूरे परिवार व समाज पर पड़ता है। ऐसे समय में सही मार्गदर्शन व विशेषज्ञ सहायता लेना अत्यंत आवश्यक हो जाता है।

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यदि आप या आपके आसपास कोई अंतर्वैयक्तिक संबंधों में उलझनों, संवादहीनता, हीन भावना, पारिवारिक तनाव या मानसिक असंतुलन जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो समाधान संभव है। उपचार के आधुनिक तरीके और व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाकर इन समस्याओं से उबरना पूरी तरह संभव है।

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आपका एक निर्णय, पूरे जीवन को बदल सकता है। “समस्या को पहचानिए, समाधान की ओर बढ़िए।”

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